Singrauli News: रहायसी मकान मे चल रहे स्कूल, न खेल मैदान, न बैठने की सुविधा, फिर भी विभाग ने दी मान
Singrauli News: पुलिस जनसुनवाई सीएसपी ने सुनी सभी फरियादियों की समस्या
Singrauli News: फर्जी दस्तावेज लगाकर कराया गया रजिस्ट्री, सासन पुलिस चौकी में अपराध दर्ज, विवेचना जा
Singrauli News: एनटीपीसी विंध्याचल में राजभाषा पखवाड़ा 2025 के
Singrauli News: एनटीपीसी विंध्याचल के क्षेत्रीय ज्ञानार्जन संस्थान में कर्मयोगी लार्ज स्केल जनसेवा क
Singrauli News: पार्षद अनिल वैश्य के द्वारा स्कूली बच्चो को किया गया बैग वितरण
Singrauli News: वार्ड 40 में ‘स्वच्छता ही सेवा पखवाड़ा’ के तहत सफाई अभियान सम्पन्न
Rajnath Singh discusses defence sector ties with Morocco Minister
Private defence firms poised to clock 18 pc revenue growth in 2025-26: Report
President Murmu extends Jewish New Year greetings to Jewish Community, Israel President Isaac Herzog
Navratri 2025 Day 2: On the second day of Navratri, know the form of Maa Brahmacharini, her worship mantra and the result of the puja.
Navratri 2025 Day 2 Maa Brahmacharini Puja: शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की आराधना के लिए समर्पित होता है। ब्रह्म का अर्थ तपस्या है और चारिणी का अर्थ आचरण करने वाली। इस प्रकार मां ब्रह्मचारिणी तप की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं। उनका स्वरूप ज्योतिर्मय और तेजस्वी है। दाहिने हाथ में जपमाला और बाएं हाथ में कमंडल धारण किए वे तपस्या और संयम की प्रतीक हैं।
मां ब्रह्मचारिणी की कृपा का महत्व
जो भक्त मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करते हैं, उन्हें साधना और तप का अद्भुत फल प्राप्त होता है। इनकी आराधना से त्याग, वैराग्य, संयम, सदाचार जैसे गुण विकसित होते हैं। कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी साधक अपने कर्तव्य से विचलित नहीं होता। मां की कृपा से जीवन में विजय और सिद्धि प्राप्त होती है। साथ ही, इच्छाओं और लालसाओं से मुक्ति के लिए भी इस देवी का ध्यान अत्यंत फलदायी माना गया है।
देवी ब्रह्मचारिणी का जन्म और तपस्या
पौराणिक कथाओं के अनुसार, हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लेने के बाद नारदजी के उपदेश से उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर तप किया। एक हज़ार वर्षों तक फल और मूल पर जीवन व्यतीत किया, सौ वर्षों तक केवल शाक पर निर्भर रहीं और कई वर्षों तक निर्जल व निराहार तपस्या करती रहीं। वर्षों तक बेलपत्र खाकर और फिर उन्हें भी त्यागकर उन्होंने कठिन साधना की। इसी कारण उनका नाम ‘अर्पणा’ और ‘उमा’ भी पड़ा।
तपस्या की दिव्यता और देवताओं की प्रशंसा
मां ब्रह्मचारिणी की कठोर तपस्या से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया। देवता, ऋषि, मुनि और सिद्धगण उनकी साधना को अभूतपूर्व बताते हुए उनकी स्तुति करने लगे। अंततः पितामह ब्रह्मा ने आकाशवाणी द्वारा प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद दिया कि भगवान शिव पति रूप में उन्हें अवश्य प्राप्त होंगे। इस प्रकार देवी की तपस्या ने पूरे ब्रह्मांड को प्रभावित कर दिया।
पूजा विधि और सामग्री
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा पंचामृत स्नान कराकर आरंभ करनी चाहिए। इसके बाद उन्हें अक्षत, कुमकुम, सिन्दूर और सुगंधित फूल अर्पित करें। सफेद रंग के फूल, विशेषकर कमल और गुड़हल, चढ़ाना शुभ माना जाता है। मां को मिश्री या सफेद मिठाई का भोग लगाएं और आरती करें। हाथ में पुष्प लेकर मां का ध्यान करते हुए मंत्रों का उच्चारण करें।