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Singrauli News: सिंगरौली। बंद वाहनों यानी कैप्सूल से पावर प्लांटों की राखड़ का परिवहन करने के लिए कलेक्टर ने कई बार निर्देश जारी किए। इसके बाद भी राखड़ का परिवहन डंपर आदि वाहनों से किया जा रहा है। इसमें राखड़ को तिरपाल से लचर तरीके से ढका जाता है। जिससे वह गड्डे आने या ब्रेकर पर डंपर के उछलने से सड़क पर गिरती है। रात में लापरवाही पूर्वक हो रहे राखड़ परिवहन के कारण हर दिन सुबह शहर की सड़कों पर राखड़ की परत बिछी मिलती है। इस तरह हो रहे राखड़ परिवहन पर लगाम लगाने में गश्त प्वाइंट पर बैठने वाले पुलिस कर्मी भी लापरवाह हैं।
रविवार सुबह ताली मॉडल रोड पर होंडा एजेन्सी के पास राखड़ की मोटी परत बिछी हुई थी। यही स्थिति रेलवे अंडर पास के आगे प्रधानमंत्री आवास कॉलोनी के लिए जाने वाले मार्ग पर थी। सड़क पर गिरी राखड़ वाहनों की रफ्तार के साथ इस तरह उड़ रही थी कि आंखों में उसके महीन कण जाने से जलन हो रही थी। वहीं दोपहिया वाहन चालकों को गुबार उठने पर रुकना पड़ रहा था। पावर प्लांटों की यह राख सेहत के लिहाज से खतरनाक है।
कई जहरीले तत्व होते है फ्लाई ऐश में
फ्लाई ऐश के महीन कणों में सिलिका एलुमिना, लोहे के ऑक्साइड, कैल्शियम तथा मैग्नीशियम होते हैं। इसमें लेड आर्सेनिक, कॉपर एवं कोबाल्ट जैसी विषैली भारी धातुएं होती हैं। वायु से फ्लाई ऐश का सुरक्षित विनिष्टीकरण जरूरी है। यह भूमि जल व मृदा को संदूषित कर सकती है, क्योकि यह अवमृदा का निक्षालन कर सकती है। इसके परिणामस्वरूप गाद निर्माण व मल निकास में रुकावट पैदा हो सकती है। बहुत सूक्ष्म होने के कारण फ्लाई ऐस के कण लंबे समय तक वायु में मौजूद रहकर गंभीर स्वास्थ्य समस्याओ को जन्म देते हैं। इनसे आंख, चमड़ी, नाक, गला व श्वसन नली में जलन या उत्तेजना पैदा होती है। फ्लाई ऐश धूल में क्रिस्टलीय सिलिका के कण श्वसन जाने वाले और मॉडल रोड की ओर वाले भाग में ब्रेकर शोथ और फेफड़ों के कैंसर का कारण बनते हैं।